कराधान की परिभाषा तथा कराधान के सिद्धांत (Taxation and Cannon of Taxation)
आधुनिक सरकारो के लिए कराधान आय का सबसे बड़ा स्रोत है। देश
के प्रत्येक नागरिकों का यह वैधानिक कर्तव्य है कि वह कर की राशि का अवश्य भुगतान
करे। आधुनिक कराधान नीति समाज कल्याण के उदेश्यों की पूर्ति लिए ही है फिर भी
करदाता कर भुगतान के बदले मे किसी लाभ की आशा नहीं कर सकता है।
विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा कर की परिभाषा –
Adam Smith के शब्दो में – कर नागरिक द्वारा
राज्य की सहायता के लिए दिए जाने वाली अंशदान है।
Bastable के अनुसार - कर किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह द्वारा
किया जाने वाला धन का वह अनिवार्य अंशदान है जो कि सार्वजनिक शक्ति की सेवा के लिए
प्रयोग किया जाता है।
कराधान के सिद्धांत (Cannon of Taxation) –
Adam Smith ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Wealth of Nation मे सर्वप्रथम
करारोपण के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत बताए है जिसमे मुख्त: 4 सिद्धांत महत्वपूर्ण है
–
समानता का सिद्धांत, निश्चिता
का सिद्धांत, सुविधा का सिद्धांत, मितव्ययता का सिद्धांत
1. समानता का सिद्धांत (Cannon of Equality) – Adam Smith के अनुसार
प्रत्येक राजनीति प्रजा को सरकार के सहयोग के लिए जहाँ तक संभव हो सके अपनी
सापेक्षिक योग्यता के अनुसार कर देनी चाहिए अर्थात उस आमदनी के अनुपात मे जो वे
सरकार के संरक्षण मे रह कर प्राप्त करते है।
2. निश्चिता का सिद्धांत (Cannon of Certainty) – Adam Smith के शब्दो मे प्रत्येक करदाता को जो कर देना आवश्यक है वह निश्चित होना चाहिए न कि मनमाना कर, कर देने का समय, भुगतान का तरीक, भुगतान की जाने वाली रकम, यह सब करदाता को तथा दूसरे व्यक्ति को स्पष्ट रूप से मालूम होना चाहिए।
3. सुविधा का सिद्धांत (Cannon of Convenience) – कर लगाने तथा संग्रह करने का तरीका इस प्रकार का होना चाहिए कि करदाताओ के लिए अत्यंत सुविधाजनक हो। Adam Smith के अनुसार- प्रत्येक कर को ऐसे समय पर तथा इस प्रकार लगाना चाहिए की करदाता को इसका भुगतान करना सुविधाजनक हो। संक्षेप मे हम कह सकते है की कर के – (a) भुगतान का समय सुविधाजनक होना चाहिए। (b) भुगतान का स्थान सुविधाजनक होना चाहिए। (c) भुगतान का तरीका सुविधाजनक होना चाहिए।
4. मितव्ययता का सिद्धांत (Cannon of Economy) – एडम स्मिथ के अनुसार- प्रत्येक कर की रचना इस प्रकार की जानी चाहिए कि लोगो कि जेबों से सरकारी खजाने मे जाने वाले रकम के अतिरिक्त कम-से-कम निकाला जाए।
अन्य सिद्धांत (Other Cannon) -
1. सरलता का सिद्धांत (Cannon of Simplicity) – सरलता का सिद्धांत का प्रतिपादन आर्मिटेज स्मिथ ने किया। इस सिद्धांत के अनुसार कर-प्रणाली सरल होनी चाहिए ताकि साधारण व्यक्ति भी उसे समक्ष सके। कर-प्रणाली सरल होनी चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति इसकी गणना कर सके। यदि कर-प्रणाली जटिल होगी तो करदाताओ को समक्षने के लिए कर विशेषज्ञो की सहायता लेनी पड़ेगी। जिससे करदाताओ को कर के प्रति असंतोष उत्पन्न होगा। इससे भ्रष्टाचार को कर अपवंचन(Tax Evasion) को भी प्रोत्साहन मिलता है।
2. उत्पादकता का सिद्धांत (Cannon of Productivity) – इस सिद्धांत का प्रतिपादन Bastable ने किया। इस सिद्धांत का अर्थ यह है कि सरकार को कर से पर्याप्त मात्रा मे आय प्राप्त होनी चाहिए। उत्पादकता का सिद्धांत यह बतलाता है कि कोई भी कर लगाते समय सरकार को यह देख लेनी चाहिए कि जो कर लगाया जा रहा है उससे पर्याप्त आय से मतलब यहाँ केवल वर्तमान समय के पर्याप्त आय से नहीं है वरन यह भी आवश्यक है कि भविष्य मे कर से प्राप्त आय प्रवाह बना रहें। करो से प्राप्त आय को अनुत्पादक कार्यो पर भी खर्च नहीं करना चाहिए क्योकि इससे भी उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उत्पादन वास्तव मे पूँजी निर्माण और श्रमिकों कि कार्य कुशलता पर निर्भर करता हैं।
3. लोच का सिद्धांत (Cannon of Elasticity) – Prof. Bastable ने लोच के सिद्धांत को बहुत ही महत्वपूर्ण बतलाया है इनके अनुसार कर प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि प्रत्येक कर की मात्रा मे आसानी से कमी अथवा वृद्धि की जा सके। सरकार की बढ़ती हुई आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए आवश्यक है कि जरूरत पड़ने पर कर की मात्रा भी बढ़ाई जा सके। उदहारण – आपातकालीन मंदी के समय इत्यादि।
4. विविधता का सिद्धांत (Cannon of Diversity) – यह सिद्धांत आर्मेटीज़ स्मिथ द्वारा दिया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार कर व्यवस्था मे विविधता होनी चाहिए। कर का बोक्ष विभिन्न वर्ग के लोगो पर वितरित होना चाहिए। कर भुगतान का बोक्ष एक ही समूह पर केन्द्रित नहीं होना चाहिए बल्कि इसमे विविधता होनी चाहिए जिससे प्रत्येक करदाता अपनी क्षमता के अनुरूप सरकारी खजाने मे अपना योगदान दे सके। वास्तव मे अच्छी कराधान व्यवस्था वह है जिसमे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करो का उचित मिश्रण हो ताकि व्यक्ति सार्वजनिक राजस्व मे अपना अंशदान दे सके।
5. एकरूपता का सिद्धांत (The Cannon of Uniformity) – किसी देश की कर प्रणाली एकरूपता के सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए अर्थात कर प्रणाली में जीतने भी कर हो उनमे एकरूपता या समानता होनी चाहिए। इससे कर प्रणाली सरल होती है। एकरूपता का अर्थ यह नहीं समान हो वरन इसका अर्थ है की सभी करो के लगाने की विधि समान हो तथा विभिन्न करो के निर्धारण मे समान उदेश्यों का सहारा लिया जाय।
6॰ अबिल्म्ब्ता का सिद्धांत/वांछनीयता का सिद्धांत (Cannon of Expediency) – इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक कर को किसी-न-किसी आधार पर लगाया जाना चाहिए ताकि उसका औचित्य सिद्ध हो। कर प्रणाली मे जनता का पूर्ण विश्वास करना आवश्यक है। जब भी नये कर लगाए जाएँ या पुराने करो की दरो मे वृद्धि की जाए तो इसका विशेष कारण होना चाहिए और इसके लिए जनता का समर्थन प्राप्त होना चाहिए जो कर बिना औचित्य के लगाए जायेंगे उनका जनता द्वारा निश्चित ही विरोध होगा। प्राय: जनता नए कर नही पसंद करती। अत: वांछनीयता के दृष्टिकोण से जहाँ तक संभव हो पुराने करो को ही संशोधित रूप मे लागू करना बेहतर होगा क्योकि पुराने करो का विरोध जनता प्राय: नहीं करती, लोग उसके अभ्यस्त हो जाते है।
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