भारतीय सविंधान के विभिन्न स्त्रोत (Source of Indian Constitution)
भारत के
सविंधान का निर्माण एक सविंधान सभा द्वारा किया गया था। भारतीय सविंधान निर्माताओं
की यह बड़ी प्रबल इच्छा थी कि एक सर्वोतम सविंधान का निर्माण किया जाए जो वर्तमान
की स्थिति के अनुरूप हो, साथ ही भविष्य में संभावित समस्याओ का समाधान भी
सरलतापूर्वक का सके। इसलिए भारतीय सविंधान-सभा ने सविंधान को बनाने की प्रकिया
प्रारंभ की तो सविंधान निर्मताओ ने सोचा कि जिन देशो में सविंधान पहले से लिखे जा
चुके हैं, क्यों न सविंधान के उपबंधो का प्रयोग भारतीय सविंधान के लिए किया जाए।
इस उदेश्य से सविंधान निर्मताओ ने अमेरिका, ब्रिटेन इत्यादि देशो का गहन अध्ययन कर
उनमे से उनमे से उनके उपयोगी उपबंधो को ग्रहण किया। इसी कारण से आलोचक भारतीय
सविंधान को “उधार का थैला” कहते है। लेकिन यह कहना उचित नही क्यूंकि अन्य देशो के
सविंधान को भारत की स्थितयो के अनुरूप ढाला गया हैं।
भारतीय
सविंधान के मुख्य स्त्रोत
1. 1935 का भारत सरकार अधिनियम :- इसी अधिनियम से भारतीय
संविधान के लगभग 200 प्रावधान लिए गए है।
वे इस प्रकार है –
i. संघीय व्यवस्था (Federal
System)
ii. राज्यपाल का कार्यालय (Governor’s
Office)
iii. न्यायपालिका का ढ़ाचा (Structure
of the Judiciary)
iv. आपातकालीन उपबंध (Emergency
Provision)
v. लोक सेवा आयोग (Public
Service Commission)
vi. शक्तियों के वितरण की तीन सूचिया (Three
Lists of Distribution of Powers)
2. ब्रिटेन का सविंधान (British
Constitution)
i. संसदीय व्यवस्था (Parliamentary
System)
ii. मंत्रीमंडल प्रणाली (Cabinet
System)
iii. विधायी प्रक्रिया (Legislative
Process)
iv. राज्याध्यक्ष का प्रतीकात्मक या नाममात्र
का महत्व
v. एकल नागरिकता (Single Citizenship)
vi. परमाधिकार रिटे (Prerogative
Writs)
vii. दिव्सदनवाद (Bicameralism)
viii. संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary
Privileges)
3. अमेरिका का सविंधान
i. मूल अधिकार (Fundamentals Rights)
ii. न्यायपालिका की स्वंतंत्रता (Independence
of Judiciary)
iii. न्यायिक पुर्निरिक्षिण या पुनर्विलोकन
का सिधांत (The Principle of Judicial Review)
iv. राष्ट्रपति पर महावियोग
v. उपराष्ट्रपति का पद (The Post of
Vice – President)
vi. सविंधान की सर्वचता
4. कनाडा का सविंधान
i. केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की
नियुक्ति
(Appointment of State’s Governors
by the Centre)
ii. सशक्त केंद्र के साथ संघीय व्यवस्था
(Federal
System with a powerful centre)
iii. उच्चतम न्यायलय का परमर्शी
न्याय-निणर्यन
(Advisory Jurisdiction of the
Supreme)
iv. अवशिस्ट शक्तियों का केंद्र में निहित
होना
(Vesting of Residuary Power in the
Centre)
5. आयरलैंड का सविंधान (Ireland’s Constitution)
i. राज्य के निति-निर्देशक सिद्धांत (Directive
Principle of State Policy)
ii. राष्ट्रपति की निर्वाचन सिद्धांत (Method
of Presidents Election)
iii. राज्यसभा के लिए सदस्यों का नामांकन
(Nomination
of Members of the Council of State)
6. फ़्रांस का सिद्धांत (French Constitution)
i. गणतंत्रात्मक ढांचा (Republic
Structure)
ii. स्वंत्रता, समता और
बंधुता के आदर्श (Ideal of Liberty, Equality and Fraternity)
7. रूस पूर्व सोवियत संघ (USSR’S Constitution)
i. प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक, और राजनीती न्याय का आदर्श
(Ideal
of Social, Economic and Political Justice in Preamble)
ii. मौलिक कर्तव्य (Fundamental
Duties)
8. जापान का सविंधान (Japan’s
Constitution)
i. अनुच्क्षेद का प्रावधान
ii. विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया (Procedure
Establish by Law)
9. ऑस्ट्रेलिया का सविंधान
i. समवर्ती सूचि
ii. संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (Joint
sitting of both houses of parliament)
iii. प्रस्तावना में निहित भावना
iv. केंद्र एवं राज्य के बिच सबंध तथा
शक्तियों का विभाजन
10. दक्षिण अफ्रीका का सविंधान
i. सविंधान संसोधन की प्रक्रिया प्रावधान
ii. राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन (Election
of the members of Rajya Sabha)
11. पश्चिमी जर्मनी का सविंधान - आपातकाल के समय मूल आधिकारो का स्थगन
निष्कर्ष :- इस प्रकार यह स्पष्ट हैं कि अन्य देशो
के सविंधान से जो भी उपबंधो लिए गए हैं, भारत के वातावरण तथा
समय की आवसक्ताओ के अनुसार ढाला गया हैं ।
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