लोकसभा की बनावट, आधिकार और कार्य (Composition, Power and Function of the House of People)
संसद केंद्र सरकार का विधायी अंग हैं। संसदीय प्रणाली जिसे सरकार का "वेस्टमिंंस्टर माडल" भी कहते हैं अपनाने के करण भारतीय
लोकतंत्र व्यवस्था में संसद एक विशिष्ट व केन्द्रीय स्थान रखता हैं। संविधन के पाचवा भाग के
अंतर्गत अनु० 79 - 122 में संसद के गठन, संरचना, अवधि, अधिकारियो, प्रक्रिया,
विशेषाधिकार व शक्ति आदि के बारे में वर्णन
किया गया हैं।
लोकसभा की संरचना – लोकसभा की अधिकतम संख्या 522 निधारित की गई हैं। इनमे से 530 राज्यों की गई
प्रतिनिधि, 20 संघ राज्य क्षेत्र के प्रतिनिधि होते हैं। ऐग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को
राष्ट्रपति नामित या नाम निर्देशित करता हैं। वर्तमान में लोकसभा में 545
सदस्य हैं। इनमे से 530 सदस्य राज्यों से 13 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों से और 2 सदस्य राष्ट्रपति
द्वारा नामित या नाम निर्देशित ऐग्लो इंडियन समुदाय से हैं।
राज्यों का प्रतिनिधित्त्व – लोकसभा में राज्यों के प्रतिनिधि राज्यों के विभिन्न
निर्वाचिन क्षेत्रों के लोगो द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। भारत के हर नागरिको जिसकी
उम्र 18 वर्ष से अधिक हैं और जिसे संविधान या विधि के उपबंधो के मुताबिक उपयोग
नहीं ठुकराया गया हो, मत देने का अधिकर हैं। 61 वे संविधान
संसोधन अधिनियम 1988 द्वारा मत देने की आयु सीमा को 21 वर्ष से घटकर 18 वर्ष कर
दिया।
संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिधिनित्व – संविधान ने संसद को संघ राज्यक्षेत्रो के प्रतिधिनियो को चुनने की विधि के
निर्धारण का अधिकार दिया हैं । इसी के तहत
संसद ने संघ राज्य क्षेत्र अधिनियम 1965 बनाया जिसके तहत संघ राज्य क्षेत्रों से प्रत्यक्ष
निर्वाचन के तरह लोकसभा के सदस्य चुने जाते हैं।
नामित या नाम निर्देशित सदस्य – अगर ऐग्लो–इंडियन समुदाय का लोकसभा में
पर्याप्त प्रतिनिधित्व न हो तो राष्ट्रपति इस समुदाय के 2 लोगो को नामित या उनका
नाम निर्देशित कर सकता हैं। शुरुआत में यह उपबंध 1960 तक के लिए थी लेकिन 95 वे संविधान
संसोधन अधिनियम 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया।
लोकसभा के अधिकार एंव कार्य-
भारतीय राजनितिक प्रशासनिक व्यवस्था में संसद एक केन्द्रीयस्थिति रखती है और
उसकी बहुक्रियात्मक भूमिका होती है। इसे विशेष शक्तियाँ
प्राप्त है। इसकी शक्तियाँ –
1. विधायी शक्तियाँ एंव कार्य
2.कार्यकारी शक्तियाँ एंव कार्य
3. वितिय शक्तियाँ एंव कार्य
4.संविधिक शक्तियाँ एंव कार्य
5. न्यायिक शक्तियाँ एंव कार्य
6. निर्वाचक शक्तियाँ एंव कार्य
7. अन्य शक्तियाँ एंव
कार्य
1. विधायी शक्तियाँ एंव कार्य – संविधान के अनुसार भारतीय संसद संघीय सूची, समवर्ती सूची अवशेष विषयों और कुछ परिस्थितियो में राज्य सूची के विषयों पर कानून का निर्माण कर सकती है। संविधान के द्वारा साधरण अवितिय विधेयकों और संविधान संशोधन विधेयकों के संबंध में कहा गया है कि इस प्रकार के विधेयक लोकसभा या राजसभा दोनों में से किसी भी सदन प्रस्तावित किये जा सकते है और दोनों सदनों से पारित होने पर ही राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेज जायेंगे। लेकिन इसके साथ ही दोनों सदनों में मतभेद उत्पन्न हो जाने पर राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयक्त बैठक बुलाये जाने की व्यवस्था है और लोकसभा की सदस्य संख्या राज्यसभा की दुगुनी से भी अधिक होने के कारण इस बैठक में विधेयक के भाग्य का निर्णय लोकसभा की इच्छानुसार ही होता है। इस प्रकार कानून निर्माण की संबंध में अंतिम शक्ति लोकसभा को ही प्राप्त है और राज्यसभा साधारण अवितिय विधेयक को 6 महीनो तक रोके रखने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती है। व्यवहार के अंतर्गत अब तक सभी महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जाते रहे है।
2. वितिय शक्तियाँ एंव कार्य – भारतीय संविधान
द्वारा वितिय क्षेत्र के संबंध में शक्ति
लोकसभा को ही प्रदान की गयी और इस संबंध में राज्यसभा की स्थिति बहुत गौण है।
अनुच्छेद 109 के अनुसार वित विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जा सकते है
राज्यसभा से नहीं। लोकसभा से पारित होने के बाद वित विधेयक राज्यसभा के लिए यह
आवश्यक है कि उसे वित विधेयक की प्राप्ति
की तिथि से 14 दिन के अन्दर-अन्दर विधेयक लोकसभा को लौटा देना होगा। राज्यसभा
विधेयक में संशोधन के लिए सुक्षाव दे सकती है लेकिन उन्हें करना या न करना लोकसभा
पर निर्भर करता है कि यदि वित विधेयक पारित होने के बाद 14 दिन के अन्दर राज्यसभा
सिफारिशों के बिना वित विधेयक लोकसभा को न लौटाये तो निश्चित तिथि के बाद वह दोनों सदनों से पारित मान लिया
जाएगा। वार्षिक बजट और अनुदान संबंध मांगे भी लोकसभा के समक्ष ही रखी जाती है और
इस प्रकार के समस्त व्यय की स्वीकृति देने का अधिकार लोकसभा को ही प्राप्त है।
3. कार्यकारी
शक्तियाँ एंव कार्य – भारत के संविधान ने सरकार के संसदीय रूप की स्थापना की है।
जिसमे कार्यकारिणी अपनी नीतियों एंव कार्यो के लिए संसद के प्रति उतरदायी होती है।
इस तरह संसद कार्यकारिणी पर प्रश्न करना, अल्पवधि चर्चा, स्थगन प्रस्ताव
तथा अन्य चर्चोओ के जरिए नियंत्रण रखती है। यह अपनी समितियाँ जैसे सरकारी
आश्वासनों संबंधी समिति इत्यादि के माध्यम से कार्यपालिका के कार्यो का अधीक्षण
करती है।
4. संविधिक शक्तियाँ एंव कार्य – लोकसभा को
राज्यसभा की साथ मिलकर संविधान में संशोधन परिवर्तन का अधिकार भी प्राप्त है।
संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार संविधान का कार्य अकेली संसद के द्वारा ही किया
जाता है। इस संबंध में प्रक्रिया यह है कि संशोधन का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन
में प्रस्तावित किया जा सकता है और प्रस्ताव के पारित होने के लिए आवश्यक है कि उस संसद
के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग अपने कुल बहुमत तथा उपस्थित एंव मतदान में भाग लेने
वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाय। संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर
विचार के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का कोई प्रावधान नहीं है।
5. न्यायिक शक्तियाँ एंव कार्य – लोकसभा राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाकर उसको हटा भी सकती है। इसके लिए उसे
राज्यसभा की स्वीकृति लेनी पड़ती है। वह उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशो पर भी अभियोग
लगाकर उनके पद से मुक्त करने के लिए राष्ट्रपति को विवश कर सकता है। न्यायिक
अधिकार के क्षेत्र में भारतीय लोकसभा इंग्लैंड की हाउस ऑफ़ कॉमन्स से दुर्बल है और
अमेरिका के हाउस ऑफ़ .. के समान है।
6. निर्वाचक शक्तियाँ एंव कार्य – लोकसभा
निर्वाचक मंडल के रूप में भी कार्य करती है। अनुच्छेद 54 के अनुसार लोकसभा के
सदस्य राज्यसभा के सदस्यों तथा राज्यसभाओ के सदस्यों साथ मिलकर राष्ट्रपति को
निर्वाचित करते है। अनुच्छेद 66 के अनुसार लोकसभा और राज्यसभा के द्वारा सदन के
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को निर्वाचित तथा पद से मुक्त भी कर सकता है।
7. अन्य शक्तियाँ एंव कार्य - संसद की अन्य कई
शक्ति एंव कार्य निम्नलिखित है –
i) यह देश में
विचार विमर्श की सर्वोच्च ईकाई है। यह राष्ट्रपति एंव अन्तराष्ट्रीय महत्व के
मुद्दों पर बहश करती है।
ii) यह तीनो तरह
के आपातकाल (राष्ट्रीय, राज्य एंव वित) की संस्तुति करती है।
iii) यह
राज्यों के क्षेत्र, सीमा एंव नाम में
परिवर्तन कर सकती है।
iv) यह उच्चतम
एंव उच्च न्यायालय के गठन एंव न्यायक्षेत्र को नियंत्रित करता है और दो या अधिक
राज्यों के बीच समान न्यायालय की स्थापना कर सकती है।
0 Comments