राजनितिक दल (Political Parties)

राजनीतिक दल नागरिकों के उस नियमानुसार व्यवस्थापित संगठन को कहते है जो किसी समाजिक आर्थिक या राजनीतिक आधार पर निर्मित हो और अधिकाधिक मतदाताओं को अपने विचारनुसार बनाकर राज्य की शक्ति पर अपने विचार को क्रियान्वित करना चाहता है।


गटेल के अनुसार  राजनीतिक दल न्याय से संगठित उन नागरिकों का समूह होता है जो राजनीतिक ईकाई के रूप में कार्य करते है और जिनका उदेश्य अपने मतदान बल के प्रयोग द्वारा सरकार पर नियंत्रण करना व सता स्थापित करना व अपनी समान्य नीतियों को क्रियान्वित करना होता है।

मैकाईवर के शब्दों में  राजनीतिक दल एक ऐसा समूह है जो किसी ऐसे सिद्धांत अथवा ऐसी निति के समर्थन के लिए संगठित हुआ हो, जिसे वह वैधानिक साधनों से सरकार का आधार बनाना चाहता है।

एडमण्ड के अनुसार  राजनीतिक दल लोगों का एक समूह होता है जो किसी ऐसे सिधांत के आधार पर जिस पर वे एकमत हो अपने सामूहिक प्रयन्नों द्वारा जनता के हित में काम करने के लिए एकता में बंधे होते है।

लोकतंत्र में राजनैतिक दल के कार्य

किसी भी देश में राजनीतिक दल के बिना लोकतंत्र कायम नहीं हो सकता है अर्थात् लोकतंत्रीय शासन के संचालन के लिए राजनीतिक दलों की सता नितांत रूप से आवश्यक होती है। राजनीतिक दल सता प्राप्ति तथा उसके प्रयोग के प्रारंभिक संगठन है। अत: वे राजनीतिक व्यवस्था के अभिन्न अंग होते है और कोई प्रकार से अपने कार्य करते है

1. लोकमत का निर्माण  राजनीतिक दल के प्रथम महत्वपूर्ण कार्य है। राजनीतिक दलों के सता प्राप्ति में लोकमत एक अहम भूमिका निभाता है। राजनीतिक दल अपनी नीतियों जन सभा एंव रैलियों के माध्यम से जनता के सामने रखते है तो नागरिक के यह फैसला करने का मौका मिलता है कि कौन सा दल की निति देश के हित में है।

2. सरकार का निर्माण  सता प्राप्त करने के प्रयासों के फलस्वरूप राजनीतिक दलों के द्वारा ही सरकार का निर्माण किया जाता है। अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था में राष्ट्रपति अपने विचारों से सहमत व्यक्तियों कि मंत्रिपरिषद का निर्माण कर शासन का संचालन करता है। मंत्रिपरिषद व्यवस्थापिका में अपने राजनीतिक दल के समर्थन के आधार पर ही शासन कर सकती है । इस प्रकार संस्दात्म्क और अध्यक्षात्म्क दोनों ही प्रकार की शासन व्यवस्थाओं में सरकार निर्माण और शासन-व्यवस्था का संचालन राजनीतिक दलों के आधार पर ही किया जा सकता है।

3. शासन सता को मर्यादित करना  शासन व्यवस्था में बहुसंख्यक राजनीतिक दल के साथ ही साथ अल्पसंख्यक राजनीतिक दल या विरोधी दल भी बहुत अधिक महत्व रखते है। यदि बहुसंख्यक राजनीतिक दल शासन सता का संचालन का कार्य करता है तो अल्पसंख्यक दल विरोधी दल के रूप में कार्य करते हुए शासन शक्ति को सीमित के अन्दर कार्य करने कि यद् दिलाती है।

4. राजनीतिक चेतना का प्रसार  राजनीतिक दल नागरिक चेतना और राजनीतिक शिक्षा के अत्यंत महत्वपूर्ण साधन के रूप में कार्य करते है। सार्वजनिक समस्यों एंव नीतियों के संबंध में किए गए निरंतर प्रचार और वाद-विवाद के आधार पर अपनी विचारधारा का अधिक से अधिक प्रचार करते है और जनता को इन समस्याओं के प्रति रूचि जागृत करते है।

5. जनता और शासन के बीच संबंध  लोकतंत्र और प्रजातंत्र का आधारभूत सिधांत जनता और सरकार के बीच संर्पक बनाए रखना है और इस प्रकार के संर्पक कायम रखना राजनीतिक दल का ही कार्य है। प्रजातंत्र में जिस दल कि शासन शक्ति होती है उसके सदस्य जनता के मध्य सरकार नीति का प्रचार कर जनता को अपने मत रखने का प्रयत्न करते है। इसके अतिरिक्त राजनीतिक दल जनता की कठिनाईयों तथा शिकायतों को दूर करने का प्रयत्न करते है।

6. समाजिकरण और संगठन के कार्य  राजनीतिक दल नागरिको के राजनीतक में भाग लेने के लिए प्रेरित भी करते है। इसके लिए दल विभिन्न तरीके का इस्तेमाल करते है। जैसे रैली आयोजित करके, सभा बुलाकर और वाद-विवाद के माध्यम से आदि।

राजनीतक दलों के उपरोक्त कार्यों के आधार पर निष्कर्षत: कहाजा सकता है कि राजनीतिक दल के कार्य सामान्य प्रकृति के है। इनका महत्व सरकार के रूप में और प्रकृति, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक वातावरण तथा प्रचलित राजनीतिक संस्कृति पर निर्भर है।